सनातन संस्कृति में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा करते है। किंतु काफी कम ही लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि हर एक देवी-देवता की मूर्ति को घर में नहीं रखना चाहिए। आज हम बताने वाले है कि 3 ऐसे भी मुख्य देवी और देवता है जिनको पूजना अच्छा मानते है। भक्त की जिंदगी के काफी बड़े दुख उनके नामों को लेने से ही दूर होते है। किंतु इनकी मूर्ति को घर में रखकर पूजन करने पर शास्त्र वर्जित करते है।
घर की कुछ मूर्तियों से होगा नुकसान
ऐसे करने पर घर में पैसे की कमी और सेहत से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है या कोई अन्य दिक्कत भी आ सकती है। पूरे परिवार पर भी इसका खराब असर आ सकता है। किसी घर में उसका मंदिर वास्तु के हिसाब से काफी अहम हो जाता है। अब जो भी लोग इससे जुड़े नियम को नहीं अपनाते तो उनकी जिंदगी पर दुष्प्रभाव देखने को मिलते है। अब आपको बताते है कि उन मूर्तियों के बारे में जो कि घर के मंदिर में नहीं रखी जाती है।
अपने मंदिर में ये मूर्तियां कभी न रखे
कुछ मान्यताओं के मुताबिक, ऊपरी बाधा से बचाव, दुश्मनों पर जीत पाने या ऐसी ही दूसरी इच्छाओं को पूरी करने में शिवजी के रौद्र अवतार वाली भैरव नाथ का पूजन घर के मंदिर में करते है। किंतु कहते है कि इस मूर्ति को घर लाकर पूजा नहीं करनी चाहिए।
अब यदि कोई भक्त ऐसी गलती करता हो तो उसको मूर्ति पूजन के दुष्परिणामों को स्वयं और परिवार के साथ भोगना पड़ेगा। वास्तु के जानकर ज्योतिषी का मत है कि भैरव नाथ का पूजन घर के बाहर ही करना होता है और घर में मूर्ति लगाकर पूजन करने से वास्तु दोष भी लगेगा।
न्याय देवता शनि
वैसे तो सभी सनातनी न्याय के देवता का पूजन करते है और देश भर में शनिवार के दिन शनि मंदिर पर बड़ी लाइन देखने को मिलती है। किंतु किसी घर में शनि देव की मूर्ति को लगाकर पूजा करने की शास्त्रों में मनाही है। मान्यता है कि शनि कठोर स्वभाव के है और उस घर में नियमों को तोड़े जाने पर शनि देव का गुस्सा तत्काल मुसीबत लाएगा।
राहु-केतु की मूर्ति पर शास्त्र
शान देवता के जैसे ही राहु और केतु की मूर्तियों को घर में नहीं रखा जाता है। यदि कोई व्यक्ति अपने घर के मंदिर में राहु या केतु की मूर्तियों को लगकर पूजन कर रहा हो तो उसको जरूर हानि मिलने वाली है। ये दोनों ही ग्रह ज्योतिष के मुताबिक छाया ग्रह माने जाते है।
अब जिन भी लोगों ने जानकारी न होने पर इन देवताओं की मूर्तियों को अपने घरों में रखकर पूजा की हो तो इन्हे किसी मंदिर में सम्मान के साथ देकर आ जाए।