News

प्रोपर्टी वसीयत मामले में Supreme Court ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला, साबित करनी होगी ये चीज

सुप्रीम कोर्ट देश का सबसे बड़ा न्यायालय है, हाल ही में वसीयत से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया कि इसके लिए वसीयत की सत्यता को साबित करे।

By Akshay Verma
Published on

प्रोपर्टी वसीयत मामले में Supreme Court ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला, साबित करनी होगी ये चीज
प्रोपर्टी वसीयत मामले में Supreme Court ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला

सर्वोच्च न्यायलय (Supreme Court) देश की न्यायिक प्रक्रिया में सबसे शक्तिशाली रहता ही, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वसीयत से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले पर कहा गया है कि वसीयत के माध्यम से संपत्ति पर दावा करने का दायित्व है कि वह वसीयत कि सत्यता (Authenticity of Will) को साबित करे।

प्रोपर्टी वसीयत मामले में Supreme Court ने बदला हाई कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट के इस कथन से यह समझा जा सकता है कि सिर्फ इसलिए ही कोई प्रोपर्टी वसीयतपंजीकृत है, इसका यह अर्थ नहीं है कि इसकी सच्चाई सिद्ध करने की कानूनी आवश्यकताओं का पालन न किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस L नागेश्वर राव द्वारा यह टिप्पणी की गई, जिसमें वसीयत को झूठा पाया गया एवं हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया गया।

इस से पहले हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। ट्राइल कोर्ट ने वसीयत के आधार पर प्रशासन पत्र (LOA) प्रदान करने का दावा खारिज कर दिया था। यह मामला मद्रास हाई कोर्ट में हुआ था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी।

Supreme Court ने इस आधार पर बदला फैसला

Supreme Court द्वारा केश को लेकर कहा गया कि वसीयत करने वाले नागरिक को लकवा मार गया था, और उसका दायाँ हाथ और पैर काम नहीं कर रहे थे, ऐसे में वह नागरिक सही एवं मजबूत मनोस्थिति में नहीं था। वसीयत पर किए गए हस्ताक्षर/सिग्नेचर को कंपन के साथ में किया गया था, यह साइन साधारण साइन से मैच नहीं कर रहे थे।

ये भी देखें अब वेटिंग टिकट से ट्रेन में चढ़ने की मनाही! जानें रेलवे का ये चौंकाने वाला फैसला और कैसे बदल जाएगा आपका सफर

अब वेटिंग टिकट से ट्रेन में चढ़ने की मनाही! जानें रेलवे का ये चौंकाने वाला फैसला और कैसे बदल जाएगा आपका सफर

इस विल पर नागरिक के अलावा दो अन्य गवाहों के भी साइन थे, जो कि वसीयतकर्ता के लिए अनजान थे। और वसीयत पर दावा करने वाले ने वसीयत बनवाने में बहुत ही सक्रिय भाग लिया था, एवं वसीयत बनने के 15 दिन के बाद ही होल्डर की मृत्यु हो गई। ऐसे में यह प्रोपर्टी वसीयत भी लंबे समय तक किसी को पता नहीं थी, वसीयत में यह नहीं नहीं लिखा गया था कि उसने अपने उत्तराधिकारियों (बेटियों) को संपत्ति से बेदखल क्यों किया।

विलहोल्डर की बेटियों ने कहा वसीयत फर्जी है

विल होल्डर का नाम ES पिल्लै था, जिनकी मृत्यु 1978 में हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद वे अपने पीछे एक वसीयत छोड़ गए थे, जिसे दो गवाहों के सामने बनाया गया था। इनके एक पुत्र और दो पुत्रियाँ थी। पुत्र की मृत्यु 1989 में हो गई थी। पुत्र के पीछे पत्नी और दो बच्चे रह गए। पिता की मृत्यु के बाद पुत्रियों ने संपत्ति के बंटवारे के लिए मुकदमा दर्ज किया था।

इस पुत्रियों के मुकदमे के जवाब में उनके भाई की पत्नी ने संपती के लिए LOA प्रदान करने का आवेदन किया, ऐसे में पुत्रियों द्वारा वसीयत को फर्ज बताया गया। क्योंकि उस दौरान लकवे के कारण उनके पिता बिस्तर से उठ नहीं सकते थे, वसीयत भी नहीं बना सकते तह। इसई लिए यह वसीयत शक के दायरे में इसलिए इस निरस्त किया जाए। ट्रायल कोर्ट द्वारा पुत्रियों के दावे को सही माना गया एवं वसीयत को खारिज कर दिया गया था।

ये भी देखें बिहार के इन जिलों में जमीन खरीद-बिक्री में तेजी, जानिए कहां हो रही है सबसे ज्यादा राजस्व वसूली

बिहार के इन जिलों में जमीन खरीद-बिक्री में तेजी, जानिए कहां हो रही है सबसे ज्यादा राजस्व वसूली

Leave a Comment