News

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सेल एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी से नहीं मिलेगा संपत्ति का मालिकाना हक!

सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी विवादों पर सुनाया अहम निर्णय, अब केवल सेल एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी से नहीं मिलेगा संपत्ति का मालिकाना हक। जानें क्यों रजिस्टर्ड दस्तावेज़ हैं जरूरी और कैसे ये फैसला खरीदारों के लिए है सुरक्षा का आधार। पढ़ें पूरी जानकारी ताकि आपकी संपत्ति रहे सुरक्षित!

By Akshay Verma
Published on

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सेल एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी से नहीं मिलेगा संपत्ति का मालिकाना हक!
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

भारत में संपत्ति विवादों का सामना करना एक आम बात है। अधिकतर लोग संपत्ति के दस्तावेजों और कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलता से अनजान होते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि केवल सेल एग्रीमेंट (Agreement to Sell) या पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) से संपत्ति का मालिकाना हक हासिल नहीं किया जा सकता।

संपत्ति विवाद और सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि संपत्ति का मालिकाना हक (Ownership) प्राप्त करने के लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज का होना आवश्यक है। अक्सर लोग केवल सेल एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर प्रॉपर्टी का मालिकाना हक समझने की भूल करते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल ये दस्तावेज कानूनी स्वामित्व का प्रमाण नहीं हैं। रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के अनुसार, संपत्ति का वास्तविक मालिक वही माना जाएगा जिसके पास रजिस्टर्ड दस्तावेज होंगे।

मालिकाना हक के लिए आवश्यक दस्तावेज

संपत्ति का अधिकार सुरक्षित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होती है। निम्नलिखित दस्तावेज कानूनी रूप से संपत्ति के मालिकाना हक का दावा करने में सहायक हैं:

  1. रजिस्टर्ड सेल डीड (Registered Sale Deed):
    यह एक कानूनी दस्तावेज है जो विक्रेता और खरीदार के बीच संपत्ति के हस्तांतरण का प्रमाण होता है। इसमें दोनों पक्षों के हस्ताक्षर, संपत्ति का विवरण और स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान होता है।
  2. गिफ्ट डीड (Gift Deed):
    गिफ्ट डीड एक ऐसा दस्तावेज है जिसके माध्यम से संपत्ति को बिना किसी भुगतान के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर किया जा सकता है। इसे भी रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है ताकि यह कानूनी रूप से मान्य हो सके।
  3. वसीयत (Will):
    वसीयत वह दस्तावेज है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति अपनी संपत्ति के अधिकार अपने उत्तराधिकारियों को दे सकता है। हालांकि, इसे कानूनी रूप से प्रभावी बनाने के लिए इसे प्रॉबेट करवाना आवश्यक है।
  4. लीज डीड (Lease Deed):
    यह दस्तावेज संपत्ति के अस्थायी अधिकार को दर्शाता है और संपत्ति के इस्तेमाल के लिए किरायेदार को अधिकार देता है। लीज डीड केवल संपत्ति के उपयोग का अधिकार देती है, स्वामित्व का नहीं।

पावर ऑफ अटॉर्नी और सेल एग्रीमेंट क्या हैं और क्यों नहीं देते स्वामित्व का अधिकार?

पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है जो किसी अन्य व्यक्ति को संपत्ति के प्रबंधन या लेनदेन का अधिकार देता है, लेकिन यह स्वामित्व का अधिकार नहीं देता। पावर ऑफ अटॉर्नी धारक संपत्ति की देखरेख कर सकता है, लेकिन वह संपत्ति का मालिक नहीं बनता।

सेल एग्रीमेंट (Agreement to Sell) एक समझौता है जो विक्रेता और खरीदार के बीच संपत्ति खरीदने-बेचने के इरादे को दर्शाता है। यह एक प्रॉमिसरी एग्रीमेंट है, जिसमें भविष्य में संपत्ति के हस्तांतरण का प्रावधान होता है।

  • सेल एग्रीमेंट में भुगतान की शर्तें, संपत्ति का विवरण आदि होते हैं, लेकिन यह कानूनी स्वामित्व का प्रमाण नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: क्यों है यह महत्वपूर्ण?

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्रॉपर्टी खरीदारों और निवेशकों के लिए कई मामलों में सुरक्षा प्रदान करता है। इसके मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:-

  1. कानूनी सुरक्षा: केवल रजिस्टर्ड दस्तावेजों को ही स्वामित्व के लिए मान्यता देने से संपत्ति में धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।
  2. संपत्ति विवादों में कमी: रजिस्टर्ड दस्तावेजों का होना संपत्ति विवादों में स्पष्टता प्रदान करता है और दोनों पक्षों के बीच विश्वास को बढ़ाता है।
  3. आर्थिक नुकसान से बचाव: जो लोग संपत्ति में निवेश करते हैं, उन्हें अब अधिक सुरक्षा मिलेगी क्योंकि केवल वैध रजिस्टर्ड दस्तावेज ही मान्य होंगे।
  4. निवेशकों के लिए सुरक्षा: यह निर्णय निवेशकों को यह सलाह देता है कि संपत्ति के लेन-देन में किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए केवल रजिस्टर्ड दस्तावेजों पर ही निर्भर रहें।

कैसे पाएं संपत्ति का वैध मालिकाना हक?

संपत्ति खरीदते समय नीचे दिए गए कदम उठाएं ताकि आपके स्वामित्व का दावा कानूनी रूप से मान्य हो सके:-

ये भी देखें बोर्ड परीक्षा 2025 में बड़ा धमाका! सीबीएसई के नए नियमों से बदलेगा छात्रों का भविष्य, जानें सब कुछ यहां!

बोर्ड परीक्षा 2025 में बड़ा धमाका! सीबीएसई के नए नियमों से बदलेगा छात्रों का भविष्य, जानें सब कुछ यहां!

  1. रजिस्टर्ड दस्तावेज तैयार कराएं: सुनिश्चित करें कि आपके पास संपत्ति की रजिस्टर्ड सेल डीड हो। बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के संपत्ति का मालिकाना हक अधूरा होता है।
  2. संपत्ति की जांच करवाएं: संपत्ति की कानूनी स्थिति की पुष्टि के लिए उसे स्थानीय भूमि रिकॉर्ड कार्यालय में जांचें।
  3. रजिस्ट्री शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करें: रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आवश्यक शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करें।
  4. अधिकार के प्रमाण पत्र प्राप्त करें: संपत्ति के सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें और भविष्य के विवादों से बचने के लिए एक प्रमाणित अधिग्रहण पत्र प्राप्त करें।

संपत्ति से जुड़े FAQs

1. क्या पावर ऑफ अटॉर्नी से संपत्ति का स्वामित्व मिलता है?
नहीं, पावर ऑफ अटॉर्नी से संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिलता है। यह केवल संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार देता है।

2. क्या सेल एग्रीमेंट से संपत्ति का मालिकाना हक साबित किया जा सकता है?
नहीं, सेल एग्रीमेंट केवल एक अनुबंध है और स्वामित्व का कानूनी प्रमाण नहीं है। रजिस्टर्ड सेल डीड का होना जरूरी है।

3. क्या गिफ्ट डीड से संपत्ति का स्वामित्व हस्तांतरित किया जा सकता है?
हां, गिफ्ट डीड से संपत्ति का हस्तांतरण किया जा सकता है, लेकिन इसे कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए रजिस्टर्ड होना चाहिए।

4. संपत्ति का स्वामित्व साबित करने के लिए कौन से दस्तावेज सबसे महत्वपूर्ण हैं?
रजिस्टर्ड सेल डीड, गिफ्ट डीड, वसीयत और लीज डीड जैसे दस्तावेज संपत्ति के स्वामित्व का दावा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल सेल एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त नहीं किया जा सकता। संपत्ति का मालिकाना हक सुरक्षित करने के लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज आवश्यक हैं।

ये भी देखें Tenant Rights: किराएदारों को मिले 5 अधिकार, मकान मालिक की मनमानी अब नहीं चलेगी

Tenant Rights: किराएदारों को मिले 5 अधिकार, मकान मालिक की मनमानी अब नहीं चलेगी

Leave a Comment