बैंकिंग और मुद्रा संबंधी सभी कार्यों के लिए भारत का केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India या RBI) उत्तरदायी है। यह तो सभी जानते हैं कि करेंसी जारी करने और उसके विनिमय का कार्य भी आरबीआई करता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारतीय करेंसी (Indian Currency) में एक ऐसा नोट भी है जो आरबीआई द्वारा नहीं बल्कि केंद्र सरकार के द्वारा जारी किया जाता है। आइए, आज हम आपको इस अनोखे नोट के बारे में बताते हैं और इसकी पूरी जानकारी विस्तार से साझा करते हैं।
रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई?
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को आज़ादी से पहले हुई थी। उस समय नोटों और सिक्कों का प्रचलन भारत सरकार के तहत था। फिर, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अगस्त 1940 में भारत सरकार ने अपने स्तर से 1 रुपये का सिक्का जारी किया। यह चलन आज तक बरकरार है, और इस विशेष नोट का इतिहास व प्रचलन अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है।
1 रुपये के नोट पर क्यों नहीं होता RBI गवर्नर का हस्ताक्षर?
भारतीय मुद्रा प्रणाली में सभी नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं, जिन पर आरबीआई के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। लेकिन 1 रुपये का नोट इस प्रणाली से अलग है। इसे आरबीआई नहीं बल्कि भारत सरकार जारी करती है, और इस पर वित्त मंत्रालय के तहत वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है, न कि आरबीआई गवर्नर का। आज के समय में 1 रुपये का नोट भारतीय करंसी का सबसे छोटा मूल्यवर्ग का नोट है, और इस पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर को देखकर इसे अन्य नोटों से अलग पहचाना जा सकता है।
RBI के पास नोट जारी करने का अधिकार
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 22 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक के पास केंद्र सरकार से बैंक नोट जारी करने का एकल अधिकार प्राप्त है। इस अधिनियम की धारा 24 के अनुसार, आरबीआई 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये, या उससे अधिक मूल्य के नोट जारी कर सकता है। मगर इस अधिनियम में कहीं भी 1 रुपये का उल्लेख नहीं है, और इसलिए 1 रुपये का नोट आज भी भारत सरकार द्वारा ही जारी किया जाता है।
1 रुपये के नोट को कौन करता है जारी?
1 रुपये का नोट और सिक्का भारत सरकार के केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Union Finance Ministry) द्वारा जारी किया जाता है। अन्य नोटों के विपरीत, इस नोट पर आरबीआई गवर्नर के स्थान पर वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है। यह वित्त मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है, और इसी कारण 1 रुपये के नोट का महत्व और पहचान अन्य नोटों से भिन्न होती है।
1 रुपये के नोट का ऐतिहासिक सफर
1 रुपये के नोट की कहानी भारत में मुद्रण इतिहास के साथ जुड़ी हुई है। पहली बार 1 रुपये का नोट 30 नवंबर, 1917 को जारी किया गया था, जिसमें किंग जॉर्ज पंचम का चित्र था। इसके बाद 1926 में 1 रुपये के नोट की छपाई बंद कर दी गई। 1940 में इसे फिर से शुरू किया गया, लेकिन 1994 में दोबारा इसकी छपाई को रोक दिया गया। साल 2015 में इसे फिर से मुद्रण में लाया गया, और तब से यह सीमित संख्या में जारी होता है।
भारतीय करेंसी का प्रतीक क्या है?
भारतीय करेंसी का नाम ‘भारतीय रुपया’ (Indian Rupee या INR) है, जिसका प्रतीक “₹” है। इस प्रतीक का डिजाइन देवनागरी के अक्षर “र” और लैटिन के बड़े “R” अक्षर के समान है, जिसमें ऊपर दोहरी क्षैतिज रेखा है। यह प्रतीक भारत की मुद्रा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए बनाया गया था और यह भारतीय मुद्रा की अद्वितीयता को दर्शाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. क्या 1 रुपये का नोट आरबीआई द्वारा जारी किया जाता है?
नहीं, 1 रुपये का नोट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी नहीं किया जाता है। इसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।
2. 1 रुपये के नोट पर किसका हस्ताक्षर होता है?
1 रुपये के नोट पर वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है, न कि आरबीआई गवर्नर का।
3. भारतीय मुद्रा का प्रतीक क्या है?
भारतीय मुद्रा का प्रतीक “₹” है, जो देवनागरी के अक्षर “र” और लैटिन के बड़े “R” अक्षर का एक संशोधित रूप है।
4. आरबीआई किस मूल्य के नोट जारी कर सकता है?
आरबीआई 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये और इससे अधिक मूल्य के नोट जारी कर सकता है, लेकिन 1 रुपये का नोट आरबीआई जारी नहीं कर सकता।
5. 1 रुपये के नोट की छपाई कब बंद हुई थी?
1 रुपये के नोट की छपाई 1926 और फिर 1994 में बंद कर दी गई थी। बाद में इसे 2015 में पुनः जारी किया गया।