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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सेल एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी से नहीं मिलेगी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक!

"प्रॉपर्टी विवादों में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय, केवल रजिस्टर्ड दस्तावेज होंगे असली स्वामित्व का प्रमाण। जानिए इस फैसले का आपके अधिकारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।"

By Neha
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सेल एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी से नहीं मिलेगी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक!
प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक

सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी विवादों में एक अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया है कि पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) और सेल एग्रीमेंट (Agreement to Sell) के आधार पर संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा नहीं किया जा सकता। यह निर्णय देश में संपत्ति विवादों में बढ़ती जटिलताओं को सुलझाने और पारदर्शिता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का स्वामित्व केवल रजिस्टर्ड दस्तावेजों के आधार पर ही मान्य होगा।

रजिस्टर्ड दस्तावेज होंगे असली मालिक का प्रमाण

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 (Registration Act, 1908) के तहत केवल रजिस्टर्ड दस्तावेज ही किसी संपत्ति के मालिकाना हक को प्रमाणित करते हैं। कोर्ट के इस फैसले ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि संपत्ति के असली हकदार वही होंगे जिनके पास प्रॉपर्टी से जुड़े वैध और रजिस्टर्ड कागजात हैं।

हाल ही में आए इस मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने प्रॉपर्टी गिफ्ट डीड (Gift Deed) के जरिए प्राप्त की है, जबकि प्रतिवादी ने पावर ऑफ अटॉर्नी और सेल एग्रीमेंट के आधार पर संपत्ति पर अपना दावा प्रस्तुत किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रतिवादी के दावे को खारिज कर दिया।

पावर ऑफ अटॉर्नी का क्या है कानूनी महत्व?

पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) एक कानूनी दस्तावेज है जो संपत्ति के मालिक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को यह अधिकार देने के लिए जारी किया जाता है कि वह संपत्ति से संबंधित कुछ कार्य कर सके। हालांकि, यह दस्तावेज किसी भी प्रकार से संपत्ति के मालिकाना हक को ट्रांसफर करने का प्रमाण नहीं माना जाता।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग केवल प्रॉपर्टी से जुड़े लेन-देन या अन्य कार्यों के लिए किया जा सकता है, लेकिन इससे व्यक्ति को प्रॉपर्टी का कानूनी स्वामित्व नहीं मिलता।

सेल एग्रीमेंट और उसका प्रभाव

सेल एग्रीमेंट (Agreement to Sell) संपत्ति के खरीदार और विक्रेता के बीच हुए एक समझौते को दर्शाता है। इसमें प्रॉपर्टी के लेन-देन से संबंधित सभी शर्तें दर्ज होती हैं। हालांकि, यह दस्तावेज भी संपत्ति के स्वामित्व को प्रमाणित नहीं करता।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल सेल एग्रीमेंट के आधार पर संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जा सकता। प्रॉपर्टी का असली मालिक वही होगा जिसके पास रजिस्टर्ड सेल डीड (Registered Sale Deed) होगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दूरगामी प्रभाव

इस फैसले ने भारत में संपत्ति विवादों के लिए एक नया मापदंड तय किया है। अब कोई भी व्यक्ति केवल पावर ऑफ अटॉर्नी या सेल एग्रीमेंट के आधार पर संपत्ति पर दावा नहीं कर सकेगा। यह निर्णय खरीदारों और विक्रेताओं को संपत्ति के लेन-देन में अधिक सावधानी बरतने के लिए प्रेरित करेगा।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संपत्ति विवादों में पारदर्शिता लाने और कानून के दायरे में सभी पक्षों को सुरक्षित रखने का एक ठोस कदम है। इससे न केवल प्रॉपर्टी डीलिंग में विश्वास बढ़ेगा, बल्कि संपत्ति से जुड़े फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आएगी।

क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ?

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला संपत्ति के मामलों में एक मील का पत्थर साबित होगा। रजिस्टर्ड दस्तावेजों को प्राथमिकता देकर सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि संपत्ति से जुड़े सभी लेन-देन कानूनी रूप से वैध और पारदर्शी हों।

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सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय क्यों है महत्वपूर्ण?

  1. संपत्ति के मामलों में धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम।
  2. खरीदार और विक्रेता के अधिकार होंगे सुरक्षित।
  3. कानून के अनुसार रजिस्टर्ड दस्तावेज होंगे सर्वोपरि।
  4. विवादित प्रॉपर्टी मामलों में पारदर्शिता आएगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या पावर ऑफ अटॉर्नी से संपत्ति का मालिकाना हक मिलता है?
नहीं, पावर ऑफ अटॉर्नी केवल संपत्ति से जुड़े कुछ कार्यों को करने का अधिकार देती है, लेकिन इससे संपत्ति का स्वामित्व नहीं मिलता।

2. सेल एग्रीमेंट का क्या महत्व है?
सेल एग्रीमेंट संपत्ति के लेन-देन के लिए किए गए समझौते को दर्शाता है, लेकिन यह स्वामित्व का प्रमाण नहीं है।

3. संपत्ति का मालिकाना हक साबित करने के लिए क्या जरूरी है?
संपत्ति का मालिकाना हक साबित करने के लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज होना अनिवार्य है।

4. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मकसद क्या है?
इस फैसले का उद्देश्य संपत्ति विवादों में पारदर्शिता लाना और धोखाधड़ी को रोकना है।

5. रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 क्या है?
यह कानून भारत में संपत्ति के रजिस्ट्रेशन और उसके स्वामित्व से जुड़े नियमों को निर्धारित करता है।

6. क्या गिफ्ट डीड से मालिकाना हक मिलता है?
हां, यदि गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड है तो यह मालिकाना हक का प्रमाण हो सकती है।

7. पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल कब किया जाता है?
पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल तब किया जाता है जब संपत्ति का मालिक किसी अन्य व्यक्ति को प्रॉपर्टी से जुड़े कार्य करने का अधिकार देना चाहता है।

8. यह फैसला संपत्ति विवादों को कैसे प्रभावित करेगा?
यह फैसला संपत्ति विवादों में पारदर्शिता बढ़ाएगा और कानूनी प्रक्रिया को सशक्त बनाएगा।

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