आयुर्वेद में अपना करियर देखने वाले युवाओं को अच्छी खबर मिल रही है। अब से BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी) में एडमिशन को क्लास 12 जरूरी नहीं होगी। सिर्फ क्लास 10 कर लेने पर ही स्टूडेंट्स को BAMS में एडमिशन मिल जायेगा। अब से नई नियमानुसार इन उम्मीदवारों को एक अलग NEET-UG एग्जाम को देना होगा।
इससे वो आयुर्वेद गुरुकुलम में एनरोल हुए इंस्टीट्यूट में एडमिशन ले सकेंगे। बीते दिनों ही भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) की तरफ से नोटिस द्वारा यह फैसला आया है। अगले शैक्षिक सत्र 2025-26 से कोर्स में एडमिशन की शुरुआत हो जाएगी।
नए कोर्स में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिलेगी
NCISM के मुताबिक, यह नया कोर्स सिर्फ चुने हुए इंस्ट्यूशन में आने वाला है जोकि “आयुर्वेद गुरुकुलम” नाम से जाने जायेंगे। ये इंस्ट्यूशन दूसरे आयुर्वेदिक इंस्ट्यूशन से नही जुड़ेंगे और इनको दूसरे इंस्टिट्यूट में नहीं बदला जाएगा। स्टूडेंट्स यहां पर आवासीय शिक्षा के सिस्टम एस ही रहते हुए पढ़ाई करेंगे जोकि उनको आयुर्वेद की गहन जानकारी देगा। हर इंस्टीट्यूट में एक हॉस्पिटल भी रहेगा जोकि स्टूडेंट्स को प्रेटिकल ट्रेनिंग भी देगा।
BAMS कोर्स का उद्देश्य
BAMS में एनरोल होने वाले स्टूडेंट्स को 7 से 7.5 सालो का कोर्स मिलने वाला है जोकि शुरू के 2 सालो में प्री-आयुर्वेद कोर्स होगा। 4.5 सालो तक BAMS की शिक्षा और 1 साल की जरूरी इंटर्नशिप रहेगी। यह कोर्स में संस्कृत, आयुर्वेद का परिचय और दूसरे जरूरी आयुर्वेदिक सब्जेक्ट्स को जगह देता है। ऐसी स्टूडेंट्स को आयुर्वेद ट्रीटमेंट के बेसिक सिद्धांत पता चलेंगे जोकि ठोस पढ़ाई की बुनियाद रखेंगे।
अब इस उम्र में एडमिशन मिलेगा
यह कोर्स स्टूडेंट्स को 15 साल की उम्र में एडमिशन का मौका देगा। ऐसे में क्लास 10 और 12 में बायोलॉजी ग्रुप न ले पाने वाले स्टूडेंट्स को सही मौका मिलेगा। ये प्रयास इन छात्रों को अच्छा करियर ऑप्शन देगी जोकि आयुर्वेद में आना चाहते है किंतु जरूरी शैक्षिक योग्यताओं को नहीं रखते है।
बेहतरीन भविष्य का कोर्स
केंद्र सरकार भी देश भर में आयुर्वेदिक चिकित्सा को प्रोत्साहन दे रहे है और कई प्रदेशों में आयुर्वेदिक क्लिनिक और अस्पताल खुले है। इस BAMS कोर्स को कर लेने पर गवर्नमेंट और प्रॉईवेट हॉस्पिटल में नौकरी के अच्छे मौके मिलेंगे।
नए कोर्स पर एक्सपर्ट की राय
आयुर्वेदिक छात्र संगठन में राष्ट्रीय संयोजक डॉ. हरेंद्र सिंह भदौरिया नए बदलाव का स्वागत करते हुए कहते है कि ये प्री-आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम वैसे स्टूडेंट्स को वरदान है जोकि आयुर्वेद की शिक्षा लेना चाह रहे हो। संस्कृत और दर्शनशास्त्र की जानकारी आयुर्वेद की पढ़ाई में काफी अनिवार्य है। यह नया कोर्स अपने स्टूडेंट्स को ऐसे विषय पर गहन जानकारी देगा जोकि उनकी पढ़ाई पर ज्यादा असर डालेगा।