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Toll Tax और FASTag से छुटकारा! जानें कैसे GNSS GPS सिस्टम से आपकी यात्रा होगी आसान और सस्ती

अब हाईवे पर सफर के दौरान रुकने का झंझट खत्म! भारत में लागू होने जा रहा है GNSS GPS आधारित नया टोल कलेक्शन सिस्टम, जो आपके वाहन की दूरी के अनुसार खुद-ब-खुद टोल कटेगा। जानें इस नई तकनीक के फायदे और कैसे यह आपकी यात्रा को सुविधाजनक बनाएगी।

By Akshay Verma
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Toll Tax और FASTag से छुटकारा! जानें कैसे GNSS GPS सिस्टम से आपकी यात्रा होगी आसान और सस्ती
GPS सिस्टम

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर Toll Tax का नियम अब एक नए बदलाव की ओर बढ़ रहा है। अब हर वाहन चालक को FASTag के झंझट से राहत मिल सकती है, क्योंकि सरकार ने Toll Tax वसूली के लिए एक नई तकनीक लागू करने की तैयारी कर ली है। यह नई तकनीक है ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (GNSS), जो GPS आधारित होगी और Toll Fee वसूली को और अधिक सरल और सुविधाजनक बनाएगी।

क्या है GNSS GPS Toll System?

GNSS (Global Navigation Satellite System) एक ऐसी तकनीक है, जो आपके वाहन में लगे GPS ट्रैकर की मदद से आपकी यात्रा का हिसाब रखती है और उतनी ही दूरी का टोल काटती है, जितनी आपने यात्रा की है। अब टोल बूथ पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, और यात्रा के दौरान Toll Tax अपने आप आपके अकाउंट से कट जाएगा। इसके लिए वाहन के GPS से जुड़ी जानकारी NHAI (National Highways Authority of India) के सिस्टम तक पहुंचाई जाएगी और आपका टोल चार्ज कर लिया जाएगा।

GNSS कैसे करेगा काम?

GNSS सिस्टम की खासियत यह है कि यह बिना किसी गेट के, माइक्रोसेकंड्स में टोल कटौती करने में सक्षम है। इस प्रणाली के लागू होने के बाद:

  • कोई रुकावट नहीं: आपके वाहन को टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। यह तकनीक आपके वाहन की गति को प्रभावित किए बिना, स्वचालित रूप से Toll Tax वसूलेगी।
  • सटीक टोल: आपका वाहन जितनी दूरी तय करेगा, उसी हिसाब से टोल कटेगा, जिससे यात्रियों के लिए यह अधिक सटीक और सुविधाजनक हो जाएगा।

GNSS Toll System के फायदे

GNSS प्रणाली केवल टोल भुगतान ही नहीं बल्कि यात्री की सुरक्षा, समय और धन बचाने में भी सहायक होगी। इसके कुछ प्रमुख फायदे हैं:

  1. समय की बचत: टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे यात्रा में समय बचेगा।
  2. ईंधन की बचत: रुकने और चलने की प्रक्रिया में ईंधन की बर्बादी नहीं होगी, जिससे पेट्रोल, डीजल और CNG की भी बचत होगी।
  3. पैसे की बचत: GNSS प्रणाली से सिर्फ उपयोग की गई दूरी का ही टोल कटेगा, जिससे अतिरिक्त खर्च से बचा जा सकेगा।

किस तरह और कब लागू होगी GNSS प्रणाली?

GNSS प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है ताकि इसे धीरे-धीरे देश के सभी हाईवे और एक्सप्रेसवे पर पूरी तरह से इस्तेमाल में लाया जा सके। अभी इसे कुछ क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। इसका लक्ष्य यह है कि:

  • जून 2025 तक लगभग 2,000 किलोमीटर के नेशनल हाईवे पर GNSS लागू हो जाए।
  • आने वाले दो वर्षों में इसे 50,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा।

FASTag की जगह कैसे लेगा GNSS?

FASTag को हटाकर GNSS आधारित प्रणाली को लाने का एक मुख्य उद्देश्य यात्री सुविधा में सुधार करना है। FASTag को रिचार्ज करना और उसे लेकर कई बार समस्याएं होती थीं। GNSS प्रणाली के आने के बाद यह प्रक्रिया अधिक सरल और सहज हो जाएगी, जिसमें FASTag की जगह GPS आधारित Toll Collection हो जाएगा। इससे वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर रुकने और FASTag स्कैन कराने का झंझट नहीं रहेगा।

अन्य देशों में GNSS का उपयोग

GNSS प्रणाली का उपयोग कई विकसित देशों में हो रहा है। इसके उदाहरण के रूप में, यूरोप के कई देशों में यह प्रणाली लागू है, जहां पर वाहनों से जुड़ी सभी टोल जानकारी GPS के माध्यम से स्वचालित रूप से काट ली जाती है। भारत में भी इसी तकनीक का उपयोग कर Toll Tax प्रणाली को और अधिक सटीक और उन्नत बनाया जा रहा है।

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क्या बदल जाएगा यात्री अनुभव?

GNSS प्रणाली लागू होने के बाद, भारतीय यात्रियों को टोल बूथ पर लंबी कतारों में खड़े होने और FASTag से संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह एक कदम है भारत को डिजिटल हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर की ओर ले जाने का, जिसमें यात्रा अधिक सुगम, समय-संवेदनशील और सटीक होगी।

1. GNSS क्या है और यह कैसे काम करता है?
GNSS (Global Navigation Satellite System) एक GPS आधारित टोल कलेक्शन प्रणाली है जो वाहन की यात्रा की गई दूरी के आधार पर टोल चार्ज करती है। इसमें आपकी गाड़ी का डेटा NHAI के सिस्टम तक GPS के माध्यम से पहुंचता है और टोल शुल्क अपने आप कट जाता है।

2. क्या GNSS लागू होने पर FASTag की जरूरत नहीं होगी?
हां, GNSS के पूरी तरह लागू होने के बाद FASTag की आवश्यकता नहीं रहेगी क्योंकि टोल शुल्क GPS आधारित प्रणाली के जरिए स्वचालित रूप से कटेगा।

3. GNSS कब तक भारत में पूरी तरह लागू होगा?
भारत में GNSS प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य है कि जून 2025 तक इसे 2,000 किलोमीटर और अगले दो वर्षों में 50,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाए।

4. क्या GNSS प्रणाली से टोल शुल्क कम होगा?
GNSS प्रणाली के आने से केवल उपयोग की गई दूरी का ही टोल शुल्क लिया जाएगा, जिससे अधिक टोल कटौती से बचा जा सकेगा और यह सटीकता में भी सुधार लाएगा।

GNSS GPS आधारित Toll Collection सिस्टम के साथ भारत में Toll Tax और FASTag की झंझट जल्द खत्म हो जाएगी। यह तकनीक, बिना किसी रुकावट के वाहन की दूरी के आधार पर स्वचालित टोल कटौती करेगी, जिससे यात्रा और आसान हो जाएगा।

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