किराए के मकान में रहने वाले लोगों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि उनके पास कौन-कौन से कानूनी अधिकार होते हैं। मकान मालिक की मनमानी और खराब व्यवहार से बचने के लिए इन अधिकारों को समझना महत्वपूर्ण है। यहां हम उन 5 अधिकारों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जो हर किराएदार को जानना चाहिए।
प्राइवेसी का अधिकार
किराएदारों को उनके कमरे या घर में प्राइवेसी का पूरा अधिकार है। एक बार जब किराया समझौता हो जाता है, तो मकान मालिक बिना पूर्व अनुमति के किराएदार के घर या कमरे में प्रवेश नहीं कर सकता। किराएदार की प्राइवेसी की सुरक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण नियम बनाया गया है। मकान मालिक को कमरे में जाने के लिए पहले अनुमति लेनी होगी और बिना पूछे कमरे में आना कानूनी रूप से गलत माना जाएगा।
बिना उचित कारण घर से नहीं निकाल सकते
किराएदारों को मकान मालिक बिना उचित कारण और बिना नोटिस दिए घर से नहीं निकाल सकते। मकान मालिक को किराएदार को घर खाली करने से पहले कम से कम 15 दिनों का नोटिस देना जरूरी है। अगर किराएदार ने किराया नहीं चुकाया है या संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, तब मकान मालिक कानूनी तौर पर कदम उठा सकता है, लेकिन बिना नोटिस के उसे घर से निकालना कानूनन गलत है।
किराए पर नियंत्रण और बढ़ोतरी के नियम
किराए के मकान में रहने वालों के लिए यह जानना जरूरी है कि मकान मालिक मनमानी किराया नहीं बढ़ा सकता। किराए में बढ़ोतरी बाजार दरों और संपत्ति की स्थिति के आधार पर होती है। अगर मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है, तो उसे 3 महीने पहले किराएदार को नोटिस देना होगा। मकान मालिक किराए को बाजार की मौजूदा दरों और संपत्ति के मूल्य ह्रास के आधार पर ही बढ़ा सकता है।
किराया नियंत्रण अधिनियम 1948
केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम 1948 के तहत मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकार सुरक्षित हैं। इस अधिनियम के जरिए मकान मालिक और किराएदार के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए नियम तय किए गए हैं। यह कानून सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक अनुचित किराया न मांगे और किराएदार को भी कानून के तहत सुरक्षा मिले। हालांकि, हर राज्य में यह अधिनियम थोड़ा-बहुत बदल सकता है, लेकिन इसके मूल उद्देश्य एक जैसे होते हैं।
रखरखाव और सिक्योरिटी की वापसी
मकान का रखरखाव करना मकान मालिक की जिम्मेदारी है। मकान मालिक को संपत्ति की मरम्मत और देखरेख का ध्यान रखना होता है। इसके अलावा, मकान मालिक को किराएदार द्वारा जमा की गई सिक्योरिटी मनी को किराएदार के घर छोड़ने के एक महीने के भीतर वापस करना होता है। अगर मकान मालिक इसे वापस नहीं करता है, तो वह इसे बकाया किराए में समायोजित कर सकता है।
इन 5 अधिकारों को जानना हर किराएदार के लिए जरूरी है, ताकि वे मकान मालिक की किसी भी तरह की अनुचित मांग या व्यवहार का सामना कर सकें। किराए का घर लेते समय इन अधिकारों का ध्यान रखना आपको सुरक्षित और कानून के दायरे में रखेगा।
किराएदारों के ये कानूनी अधिकार उन्हें मकान मालिक की मनमानी से बचाने के लिए बनाए गए हैं। यदि आप इन अधिकारों को जानकर अपने मकान मालिक के साथ सही समझौता करेंगे, तो आपके किराए के घर में रहते समय कोई परेशानी नहीं होगी।