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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: 12 साल के भीतर कार्रवाई नहीं तो कब्जाधारी बन सकता है जमीन का मालिक

यदि आपकी प्रॉपर्टी पर किसी ने कब्जा कर रखा है और आपने 12 साल तक कार्रवाई नहीं की, तो अब आप अपना हक खो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले ने प्रॉपर्टी विवादों में समयसीमा का महत्व साफ कर दिया है। जानिए यह फैसला कैसे बदल सकता है आपकी संपत्ति का भविष्य!

By Akshay Verma
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: 12 साल के भीतर कार्रवाई नहीं तो कब्जाधारी बन सकता है जमीन का मालिक
12 साल के भीतर कार्रवाई नहीं तो कब्जाधारी बन सकता है जमीन का मालिक

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी निजी संपत्ति पर 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है और असली मालिक इस अवधि के भीतर कोई कानूनी कदम नहीं उठाता, तो वह संपत्ति कब्जाधारी की हो जाएगी।

यह नियम लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत लागू किया गया है। हालांकि, यह प्रावधान केवल निजी संपत्तियों पर लागू होता है, जबकि सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जे को कानूनी मान्यता नहीं दी जाएगी।

फैसले के कानूनी पहलू

लिमिटेशन एक्ट 1963:
यह कानून समयसीमा तय करता है, जिसके तहत संपत्ति के मालिक को 12 वर्षों के भीतर कानूनी कार्रवाई करनी होगी। यदि इस अवधि के भीतर कोई कदम नहीं उठाया गया, तो कब्जाधारी संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है।

सरकारी और निजी संपत्ति में अंतर:

  • निजी संपत्ति: 12 साल तक कब्जे के बाद अवैध कब्जाधारी को कानूनी हक मिल सकता है।
  • सरकारी संपत्ति: अवैध कब्जा कभी मान्य नहीं होगा।

12 साल के भीतर कार्रवाई नहीं तो कब्जाधारी बन सकता है मालिक

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच (जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस ए. अब्दुल नजीर, और जस्टिस एम.आर. शाह) ने यह फैसला सुनाया। यदि 12 वर्षों तक कोई व्यक्ति संपत्ति पर कब्जा बनाए रखता है और असली मालिक ने कोई कदम नहीं उठाया, तो कब्जाधारी को कानूनी सुरक्षा मिलती है।

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मालिकाना हक (टाइटल) और हिस्सा (इंट्रेस्ट):
इस स्थिति में कब्जाधारी का हक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हो जाता है। यदि असली मालिक संपत्ति पर पुनः कब्जा करना चाहता है, तो अदालत कब्जाधारी के पक्ष में फैसला दे सकती है।

सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा: सख्त नियम

सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा किसी भी परिस्थिति में मान्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि सरकारी भूमि का संरक्षण प्राथमिकता है और इस पर कब्जाधारी को कभी भी कानूनी अधिकार नहीं मिल सकता।

क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?

यह फैसला समयसीमा के महत्व को रेखांकित करता है। यदि कोई संपत्ति के मालिक 12 वर्षों के भीतर अपने अधिकारों की रक्षा नहीं करता, तो वह कानूनी तौर पर अपना अधिकार खो सकता है।

  • संपत्ति विवाद में समय पर कदम उठाएं।
  • कब्जा होने की स्थिति में तुरंत कानूनी कार्रवाई करें।
  • लिमिटेशन एक्ट 1963 के नियमों को समझें और अपनी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

फैसले के बाद सावधानियां

  1. समय पर कदम उठाएं:
    यदि आपकी संपत्ति पर अवैध कब्जा है, तो 12 वर्षों के भीतर कार्रवाई करें।
  2. कानूनी सहायता लें:
    विवाद की स्थिति में अनुभवी वकील से सलाह लें।
  3. लिमिटेशन एक्ट की जानकारी रखें:
    यह समयसीमा निजी संपत्तियों के लिए 12 वर्ष और सरकारी संपत्तियों के लिए 30 वर्ष है।

जमीन के मालिक से जुड़े FAQs

  1. क्या 12 साल बाद कब्जाधारी मालिक बन सकता है?
    हां, यदि असली मालिक ने समय पर कोई कदम नहीं उठाया तो कब्जाधारी को कानूनी हक मिल सकता है।
  2. क्या सरकारी जमीन पर यह नियम लागू होता है?
    नहीं, सरकारी जमीन पर कब्जा वैध नहीं माना जाएगा।
  3. 12 साल की सीमा कैसे लागू होती है?
    कब्जे के दिन से 12 वर्षों की गणना शुरू होती है।

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