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किरायेदार ध्यान दें! रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय इन 10 पॉइंट्स का रखें खास ख्याल, वरना पड़ सकते हैं मुश्किल में

क्या आप किराये पर घर लेने जा रहे हैं? लिखित एग्रीमेंट से लेकर सिक्योरिटी डिपॉजिट और नोटिस पीरियड तक, रेंट एग्रीमेंट बनवाने से पहले इन जरूरी बातों को जरूर जान लें। ये टिप्स आपको कानूनी विवादों और अनावश्यक समस्याओं से बचा सकते हैं। आपके अधिकार और जिम्मेदारियां सुरक्षित रहेंगी!

By Akshay Verma
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किरायेदार ध्यान दें! रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय इन 10 पॉइंट्स का रखें खास ख्याल, वरना पड़ सकते हैं मुश्किल में
किरायेदार ध्यान दें!

भारत में हर साल लाखों लोग अपने घर से दूर नौकरी या पढ़ाई के लिए किराये पर घर लेते हैं। दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में किराएदारों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किराये पर घर लेने से पहले कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखना आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है? रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) से जुड़े कई पहलू हैं जो भविष्य में विवादों से बचा सकते हैं।

1. लिखित एग्रीमेंट (Written Agreement)

हमेशा लिखित रेंट एग्रीमेंट पर जोर दें।

  • महत्व: यह दस्तावेज़ किराए के नियम और शर्तों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है, जिसमें किराए की राशि, अवधि, और दोनों पक्षों की जिम्मेदारियां शामिल होती हैं।
  • फायदा: लिखित एग्रीमेंट भविष्य में किसी भी विवाद से बचाने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है।

2. एग्रीमेंट की अवधि (Duration of Agreement)

भारत में अधिकांश रेंट एग्रीमेंट 11 महीनों के लिए बनाए जाते हैं।

  • क्यों 11 महीने?
    12 महीने से अधिक के समझौतों पर रेंट नियंत्रण कानून लागू हो जाते हैं, जिससे कानूनी जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
  • सुनिश्चित करें कि अवधि स्पष्ट रूप से एग्रीमेंट में दर्ज हो।

3. सिक्योरिटी डिपॉजिट (Security Deposit)

सिक्योरिटी डिपॉजिट का विवरण एग्रीमेंट में साफ-साफ लिखा होना चाहिए।

  • शर्तें: इसमें जमा राशि और इसके वापसी की शर्तें शामिल हों।
  • नियम: हालिया नियमों के अनुसार, मकान मालिक को किराएदारी समाप्ति के बाद तीन महीने के भीतर जमा राशि ब्याज सहित वापस करनी होगी।

4. किराए के भुगतान की शर्तें (Rent Payment Terms)

किराए के भुगतान का विवरण साफ-साफ एग्रीमेंट में लिखा होना चाहिए।

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  • किराए की रकम
  • भुगतान की तारीख
  • भुगतान का तरीका (कैश, बैंक ट्रांसफर, या UPI)
  • देर से भुगतान पर जुर्माने की शर्तें।

5. अधिकार और जिम्मेदारियां (Rights and Responsibilities)

किरायेदार के रूप में आपके अधिकारों का उल्लेख एग्रीमेंट में होना चाहिए।

  • गोपनीयता का अधिकार
  • मकान की उचित स्थिति में रख-रखाव
  • अवैध रूप से बेदखल किए जाने से सुरक्षा।
  • सुनिश्चित करें कि मकान मालिक भी अपनी जिम्मेदारियों का पालन करे।

6. नोटिस पीरियड (Notice Period)

एग्रीमेंट में नोटिस पीरियड का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।

  • उदाहरण:
  • किराएदारी समाप्त करने के लिए मकान मालिक और किरायेदार दोनों को एक निश्चित समय पहले नोटिस देना होगा।
  • यह समय आमतौर पर 1 से 3 महीने होता है।

7. रिपेयर और रखरखाव (Repairs and Maintenance)

एग्रीमेंट में रिपेयर और रखरखाव की जिम्मेदारी स्पष्ट होनी चाहिए।

  • बड़े रिपेयर: मकान मालिक की जिम्मेदारी।
  • छोटे रिपेयर: किरायेदार की जिम्मेदारी।
  • महत्व: मकान मालिक की लापरवाही के कारण यदि किरायेदार को रिपेयर करना पड़े, तो उसकी रसीदें संभाल कर रखें, ताकि भविष्य में रिफंड प्राप्त किया जा सके।

8. रेंट में बढ़ोतरी (Rent Increments)

  • नियम:
  • 11 महीने के एग्रीमेंट के बाद ही मकान मालिक किराए में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
  • इसके लिए पूर्व सूचना देना अनिवार्य है।

9. कानूनी अनुपालन (Legal Compliance)

सुनिश्चित करें कि आपका रेंट एग्रीमेंट स्थानीय कानूनों और नियमों का पालन करता है।

  • यह एग्रीमेंट आपके अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है।
  • महत्व: कानूनी अनुपालन न केवल विवादों से बचाता है, बल्कि आपको न्याय दिलाने में मदद करता है।

10. एग्रीमेंट का पंजीकरण (Registration of Agreement)

  • फायदा:
  • यह कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • पंजीकृत एग्रीमेंट भविष्य में किसी भी विवाद में आपके लिए सहायक होता है।

जरूरी टिप्स: किराए पर मकान लेते समय ध्यान दें

  1. मकान की स्थिति जांचें:
    मकान में कोई बड़ा डैमेज या समस्या हो, तो मकान मालिक से पहले ही बात कर लें।
  2. एग्रीमेंट की कॉपी रखें:
    एग्रीमेंट की एक कॉपी अपने पास रखें।
  3. किराए की रसीद लें:
    हर महीने किराए की रसीद मांगें, ताकि भुगतान का रिकॉर्ड रहे।
  4. किराए के नियमों की जानकारी रखें:
    स्थानीय रेंट कानूनों को जानें।

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