आज के समय में बैंकों से लोन लेना आम बात है, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के चलते कभी-कभी लोग लोन की EMI चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में बैंकों द्वारा रिकवरी एजेंट भेजने से ग्राहक परेशान हो जाते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऐसे ही मामलों के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को रिकवरी प्रक्रिया के दौरान ग्राहकों के साथ उचित व्यवहार के नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन गाइडलाइन्स का उद्देश्य लोन लेने वाले ग्राहकों को अनुचित व्यवहार से बचाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
लोन रिकवरी में क्यों जरूरी हैं नए दिशानिर्देश?
कई बार देखा गया है कि बैंकों के रिकवरी एजेंट्स ग्राहकों को धमकी देते हैं, फोन पर परेशान करते हैं और कई बार निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी भी देते हैं। ऐसे में ग्राहकों की सुरक्षा के लिए RBI ने नए नियमों की घोषणा की है, जिससे ग्राहकों को मानसिक और शारीरिक परेशानी का सामना न करना पड़े। इन नियमों का पालन न करने पर बैंक और रिकवरी एजेंट्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
आरबीआई द्वारा जारी किए गए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश
1. रिकवरी एजेंट की नियुक्ति के नियम
- RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे लोन की रिकवरी के लिए रिकवरी एजेंट नियुक्त करने से पहले ग्राहक को सूचित करें।
- बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि एजेंट के पास प्राधिकरण पत्र और बैंक का नोटिस हो, जिसे दिखाकर ग्राहक के साथ उचित व्यवहार किया जा सके।
2. कॉल और मुलाकात का समय
- रिकवरी एजेंट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही ग्राहक को कॉल कर सकते हैं।
- यदि यह समय सीमा पार हो जाती है, तो ग्राहक इसे कानूनी तौर पर चुनौती दे सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं।
3. शिकायत का समाधान
- अगर ग्राहक को किसी रिकवरी एजेंट से परेशानी होती है और वह शिकायत दर्ज करता है, तो बैंक को ग्राहक की शिकायत का समाधान होने तक एजेंट को दोबारा संपर्क करने से रोकना होगा।
- ग्राहकों की शिकायतों का समय पर समाधान सुनिश्चित करना भी बैंकों की जिम्मेदारी है।
लोन रिकवरी की प्रक्रिया
1. नॉन-ज्यूडिशियल प्रक्रिया
- इसमें बैंक ग्राहक को भुगतान की याद दिलाने के लिए रिमाइंडर और नोटिस भेजता है।
- कई बार बैंक ग्राहकों को लोन की बकाया राशि जमा करने के लिए छूट का ऑफर भी देते हैं।
2. ज्यूडिशियल प्रक्रिया
- अगर ग्राहक बैंक द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं देता, तो बैंक कानूनी रास्ता अपनाता है और ग्राहक को कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सकता है।
- बैंक डिफॉल्टर को कानूनी प्रक्रिया के जरिए उसकी संपत्ति को जब्त करने का भी हक रखता है।
ग्राहक कैसे कर सकते हैं शिकायत?
अगर किसी ग्राहक को रिकवरी एजेंट के दुर्व्यवहार से परेशानी होती है, तो वह निम्नलिखित तरीकों से शिकायत कर सकता है:
- पुलिस में शिकायत दर्ज करें: ग्राहक स्थानीय थाने में जाकर रिकवरी एजेंट द्वारा धमकी देने, गाली-गलौच करने या धमकाने की शिकायत कर सकता है।
- बैंक के पास शिकायत: ग्राहक बैंक से संपर्क करके लिखित शिकायत दर्ज करा सकता है।
- RBI के पास शिकायत: ग्राहक भारतीय रिजर्व बैंक से भी संपर्क कर सकते हैं, ताकि बैंक के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।
आरबीआई के दिशानिर्देश का उद्देश्य
RBI का यह कदम ग्राहकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और बैंकों को ग्राहकों के साथ सही तरीके से पेश आने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। ग्राहक के पास अपनी आर्थिक स्थिति के आधार पर लोन न चुका पाने की स्थिति में सुरक्षित विकल्प होना चाहिए। इन दिशानिर्देशों के जरिए RBI ने यह सुनिश्चित किया है कि ग्राहक को बैंकिंग प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
लोन न चुकाने पर बैंक क्या कर सकता है?
- रिमाइंडर भेजना: अगर कोई ग्राहक लगातार दो महीने की EMI नहीं चुकाता है, तो बैंक सबसे पहले उसे रिमाइंडर भेजता है।
- कानूनी नोटिस: यदि लगातार तीन ईएमआई नहीं भरी जाती, तो बैंक ग्राहक को एक कानूनी नोटिस भेज सकता है।
- डिफॉल्टर घोषित करना: चेतावनी के बाद भी ग्राहक ने लोन नहीं चुकाया तो बैंक ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित कर सकता है।
RBI की नई गाइडलाइन के FAQs
1. क्या बैंक किसी भी समय ग्राहक को कॉल कर सकते हैं?
नहीं, बैंक एजेंट केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही कॉल कर सकते हैं।
2. क्या ग्राहक को रिकवरी एजेंट से बचने का अधिकार है?
हाँ, ग्राहक पुलिस में शिकायत कर सकते हैं या बैंक से संपर्क कर सकते हैं अगर उन्हें एजेंट से परेशान किया जाता है।
3. क्या बैंक रिकवरी के लिए एजेंट को ग्राहक के घर भेज सकता है?
हाँ, लेकिन एजेंट को उचित समय और नियमों का पालन करना होता है।
4. ग्राहक कैसे शिकायत दर्ज करा सकता है?
ग्राहक पुलिस स्टेशन में, बैंक के पास, या RBI को अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।