कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की नागरिकता को लेकर चल रहे विवाद ने एक बार फिर सुर्खियाँ बटोरी हैं। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) और कर्नाटक के भाजपा नेता विग्नेश शिशिर की याचिकाओं के कारण यह मामला अदालतों में पहुँच गया है।
इन याचिकाओं में आरोप है कि राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता है, जो भारतीय संविधान के तहत नियमों के विपरीत है। इसके चलते दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) और इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई चल रही है, और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा भी इस मामले की जांच जारी है।
राहुल गांधी नागरिकता विवाद: मामला कैसे हुआ शुरू?
राहुल गांधी की नागरिकता पर विवाद 2017 में शुरू हुआ, जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता है। स्वामी का दावा है कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन में अपने नाम से व्यवसाय चलाने के लिए वहां की नागरिकता ली। उन्होंने अपने इस दावे के समर्थन में ब्रिटेन के कुछ आधिकारिक दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे। सुब्रमण्यम स्वामी के अनुसार, किसी भी भारतीय नागरिक के पास दोहरी नागरिकता नहीं हो सकती, और राहुल गांधी की नागरिकता भारतीय संविधान के नियमों के विरुद्ध है।
याचिकाओं की स्थिति और सुनवाई का क्रम
इस मामले में दो याचिकाएँ दायर की गई हैं – एक सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा और दूसरी भाजपा नेता विग्नेश शिशिर द्वारा। दोनों ने दिल्ली हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएँ दायर की हैं, जिनमें राहुल गांधी की नागरिकता की वैधता को चुनौती दी गई है।
CBI जांच और साक्ष्य
विग्नेश शिशिर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI को जांच का आदेश दिया। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट को यह जानकारी दी कि वह इस मामले में CBI के सामने पेश हुए और गोपनीय दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। इस आधार पर, CBI द्वारा मामले की गहन जांच की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि राहुल गांधी की नागरिकता वास्तव में भारतीय है या नहीं।
अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य और दावे
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान, विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने CBI के समक्ष कई गोपनीय दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं, जो राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता की पुष्टि कर सकते हैं। स्वामी ने अदालत के समक्ष कहा कि उनका उद्देश्य राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करना नहीं है, बल्कि केवल उनकी नागरिकता का सत्यापन कराना है।
अदालत की टिप्पणी और कार्यवाही का क्रम
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की कि चूंकि यह मामला पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है, इस पर एक ही समय में दो जगहों पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट में तय की गई है। अदालत ने यह भी कहा कि दोनों याचिकाओं के दावे समान होने के बावजूद, उनकी प्रकृति में अंतर है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थिति
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका पर विग्नेश शिशिर ने कोर्ट से कुछ समय मांगा, ताकि वह सभी प्रासंगिक दस्तावेज रिकॉर्ड में प्रस्तुत कर सकें। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए उन्हें दो सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान वे अदालत में यह साबित करने का प्रयास करेंगे कि राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़े उनके दावे कितने सटीक हैं।
ब्रिटेन की नागरिकता का दावा: क्यों है यह विवादास्पद?
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि राहुल गांधी का नाम ब्रिटेन के आधिकारिक रिकॉर्ड में एक ब्रिटिश नागरिक के रूप में दर्ज है। स्वामी के अनुसार, भारतीय संविधान के तहत, भारतीय नागरिक को दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। इस तरह का दावा भारतीय राजनीति में गंभीर मुद्दा बन गया है, क्योंकि इससे जुड़े सवाल न केवल राहुल गांधी की नागरिकता पर बल्कि उनकी राजनीतिक योग्यता पर भी असर डाल सकते हैं।
नागरिकता विवाद के कानूनी प्रावधान
भारत में दोहरी नागरिकता को स्वीकार नहीं किया जाता। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः ही समाप्त हो जाती है। सुब्रमण्यम स्वामी और विग्नेश शिशिर द्वारा उठाए गए इस मामले का उद्देश्य राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता की वैधता को चुनौती देना है।