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Property Rules: बुआ या मामा का नहीं है वारिस तो किसे मिलेगी प्रॉपर्टी? जान लो

उत्तराधिकारी नहीं तो क्या राज्य ले लेगा संपत्ति? पढ़ें हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम से जुड़ी खास बातें!

By Neha
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Property Rules: बुआ या मामा का नहीं है वारिस तो किसे मिलेगी प्रॉपर्टी? जान लो
बुआ या मामा का नहीं है वारिस तो किसे मिलेगी प्रॉपर्टी? जान लो

जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति के बंटवारे को लेकर वसीयत नहीं बनाता है, तो यह सवाल उठता है कि उसकी संपत्ति किसके पास जाएगी। भारत में विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए अलग-अलग उत्तराधिकार कानून बनाए गए हैं। हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) इस मामले में मार्गदर्शक है। यह अधिनियम संपत्ति के बंटवारे के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश देता है। अगर बुआ या मामा का कोई वारिस नहीं है, तो यह नियम समझना जरूरी हो जाता है कि उनकी संपत्ति का हकदार कौन होगा।

बिना वसीयत के संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है?

अगर कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु से पहले वसीयत नहीं बनाता है, तो उसकी संपत्ति कानून के अनुसार बंटेगी। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत, संपत्ति के उत्तराधिकारी दो वर्गों में विभाजित होते हैं।

वर्ग 1 उत्तराधिकारी

इस वर्ग में मृतक के बेटे, बेटियां, पत्नी और माता-पिता आते हैं। यदि व्यक्ति विवाहित था, तो उसकी संपत्ति उसकी पत्नी, बेटे और बेटियों में समान रूप से बांटी जाएगी।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अविवाहित था और उसकी मृत्यु होती है, तो उसकी संपत्ति उसकी मां को जाएगी।

वर्ग 2 उत्तराधिकारी

यदि मृतक के पास वर्ग 1 का कोई उत्तराधिकारी नहीं है, तो उसकी संपत्ति वर्ग 2 के उत्तराधिकारियों को दी जाएगी। इसमें मृतक के भाई, बहन, और पिता शामिल होते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि किसी अविवाहित पुरुष की मृत्यु होती है और उसके पास वर्ग 1 का कोई उत्तराधिकारी नहीं है, तो उसकी संपत्ति उसके भाई-बहन और पिता में बांटी जाएगी।

महिलाओं के लिए उत्तराधिकार नियम

किसी महिला की मृत्यु के बाद यदि वसीयत नहीं है, तो उसकी संपत्ति उसके पति, बेटे और बेटी में बांटी जाएगी। अगर महिला के बच्चे नहीं हैं, तो उसकी संपत्ति उसके पोते के पास जाएगी।
अगर महिला अविवाहित है, तो उसकी संपत्ति उसके माता-पिता के पास जाएगी।

बिना उत्तराधिकारी के संपत्ति का क्या होता है?

यदि किसी व्यक्ति के पास कोई कानूनी उत्तराधिकारी नहीं है और उसने वसीयत भी नहीं बनाई है, तो उसकी संपत्ति राज्य सरकार के अधीन हो जाएगी। इसे ‘एस्क्याट’ (Escheat) प्रक्रिया कहते हैं। इस स्थिति में संपत्ति को सरकार अधिग्रहित कर लेती है।

वसीयत क्यों है जरूरी?

वसीयतनामा (Will) बनाना संपत्ति के सही बंटवारे को सुनिश्चित करता है और उत्तराधिकारियों के बीच विवाद को कम करता है। यदि वसीयत नहीं बनाई जाती है, तो संपत्ति का बंटवारा मृतक की इच्छा के बजाय कानून के अनुसार होता है। इससे पारिवारिक विवाद या संपत्ति के अधिकार को लेकर लंबी कानूनी प्रक्रिया की संभावना बढ़ जाती है।

क्या कहते हैं कानून के प्रावधान?

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, वसीयत के बिना संपत्ति का बंटवारा एक व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत किया जाता है। यह प्रक्रिया संपत्ति के सही उत्तराधिकारी को पहचानने में मदद करती है।

FAQ: संपत्ति से जुड़े सामान्य सवाल और उनके जवाब

1. वसीयत न होने पर संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, संपत्ति वर्ग 1 और वर्ग 2 उत्तराधिकारियों में बांटी जाती है।

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2. अगर किसी का कोई कानूनी उत्तराधिकारी नहीं है तो क्या होता है?
अगर कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हैं और वसीयत भी नहीं है, तो संपत्ति राज्य सरकार को दे दी जाती है।

3. क्या संपत्ति का बंटवारा पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग होता है?
हां, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग नियम हैं।

4. क्या भाई-बहन वर्ग 1 के उत्तराधिकारी हैं?
नहीं, भाई-बहन वर्ग 2 के उत्तराधिकारी हैं।

5. क्या अविवाहित व्यक्ति की संपत्ति उसके माता-पिता को मिलेगी?
हां, अगर अविवाहित व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी संपत्ति उसके माता-पिता को दी जाएगी।

6. एस्क्याट का क्या मतलब है?
यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें बिना उत्तराधिकारी वाली संपत्ति को राज्य सरकार के अधीन कर दिया जाता है।

7. वसीयत बनाना क्यों जरूरी है?
वसीयत बनाना संपत्ति के विवाद को रोकता है और इसे मृतक की इच्छाओं के अनुसार बांटने में मदद करता है।

8. क्या सरकार संपत्ति पर हक जमा सकती है?
हां, अगर कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हैं, तो सरकार संपत्ति अधिग्रहित कर सकती है।

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