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DOPT का नया आदेश: सरकारी पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी! अब PPO में जीवनसाथी का नाम बदलना हुआ आसान, जानिए कैसे

भारत सरकार के नए दिशा-निर्देशों के तहत अब पेंशनभोगियों के लिए PPO में जीवनसाथी का नाम बदलने की प्रक्रिया हुई बेहद सरल। बिना अधिक दस्तावेज़ और औपचारिकताओं के, अब सेवा पुस्तक के आधार पर हो सकेगा नाम परिवर्तन। जानिए नए नियम, आवश्यक दस्तावेज़ और CPENGRAMS से कैसे पाएं जल्द समाधान।

By Neha
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DOPT का नया आदेश: पेंशनभोगियों के PPO में जीवनसाथी का नाम बदलना हुआ आसान, जानें प्रक्रिया
DOPT का नया आदेश: पेंशनभोगियों के PPO में जीवनसाथी का नाम बदलना हुआ आसान, जानें प्रक्रिया

भारत सरकार का कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT), केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक नया आदेश लेकर आया है, जिसके अंतर्गत पेंशनभोगियों के पेंशन भुगतान आदेश (PPO) में जीवनसाथी के नाम को बदलने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार, अब इस कार्य में अधिक समय और दस्तावेजी औपचारिकताओं की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे पेंशनभोगियों को किसी भी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

नए दिशा-निर्देशों के माध्यम से DOPT ने पेंशनभोगियों के हित में एक बड़ा कदम उठाया है। PPO में जीवनसाथी के नाम में परिवर्तन के लिए सेवा पुस्तक का उपयोग करके प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिससे पेंशनभोगियों को सहूलियत मिलेगी। CPENGRAMS जैसी प्रणाली भी शिकायत निवारण में अहम भूमिका निभा रही है, जो कि सरकार के पेंशनभोगियों के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

PPO में नाम परिवर्तन की प्रक्रिया का आधार

पेंशनभोगियों के PPO में नाम परिवर्तन की प्रक्रिया अब उनके सेवा पुस्तक (Service Book) के आधार पर की जाएगी। यह सेवा पुस्तक सरकारी कर्मचारी की नौकरी की पूरी अवधि का विस्तृत रिकॉर्ड रखती है। नाम परिवर्तन के अनुरोध को सेवा पुस्तक में दर्ज जानकारी के आधार पर किया जाएगा, जिससे नाम परिवर्तन की प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आएगी।

1987 के दिशा-निर्देशों का पालन आवश्यक

12 मार्च 1987 को DOPT द्वारा जारी आदेश में नाम परिवर्तन के लिए आवश्यक औपचारिकताएं दी गई हैं। इस आदेश के अनुसार, नाम परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए आवश्यक दस्तावेजों की सूची तैयार की गई थी, जो कि जीवनसाथी के नाम में परिवर्तन के मामलों में भी लागू होती है। यह आदेश समय-समय पर पेंशनभोगियों के हित में परिवर्तन किए जाने के लिए आवश्यक माना जाता है।

1987 के OM के प्रमुख बिंदु

  1. किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने नाम में परिवर्तन किए जाने के लिए एक deed तैयार करनी होगी, जिसे स्थानीय समाचार पत्रों में और भारत के राजपत्र (Gazette of India) में प्रकाशित करना अनिवार्य होगा। इस deed की लागत कर्मचारी को वहन करनी होगी।
  2. विवाह के उपरांत अगर महिला कर्मचारी अपने उपनाम में बदलाव करना चाहती हैं, तो इसके लिए उन्हें नियुक्ति अधिकारी को सूचना देकर उपनाम परिवर्तन का अनुरोध करना होगा। सेवा पुस्तक में इस बदलाव को करने के लिए पति का विवरण भी देना होगा।
  3. तलाक, अलगाव, या पति की मृत्यु के उपरांत यदि महिला कर्मचारी अपने पूर्व नाम (maiden name) पर लौटना चाहती हैं, तो इसके लिए उन्हें औपचारिक रूप से अपने नियुक्ति अधिकारी को सूचित करना होगा।

दस्तावेजों का सत्यापन और आवश्यक औपचारिकताएं

नाम परिवर्तन की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि से बचने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन आवश्यक है। यदि किसी दस्तावेज में विसंगति प्रतीत होती है, तो संबंधित मंत्रालय या विभाग सीधे पेंशनभोगी से संपर्क कर सकता है, ताकि आवश्यक दस्तावेज प्राप्त कर प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।

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CPENGRAMS प्रणाली द्वारा शिकायत निवारण

पेंशनभोगियों की शिकायतों को शीघ्रता से हल करने के उद्देश्य से, सरकार ने CPENGRAMS (Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System) प्रणाली का प्रावधान किया है। इस प्रणाली के माध्यम से पेंशनभोगी अपनी समस्याएं दर्ज कर सकते हैं, और शिकायतों की समीक्षा कर समाधान हेतु कार्रवाई की जाती है।

समयसीमा में समाधान हेतु दिशा-निर्देश

पेंशनभोगियों को अनावश्यक विलंब से बचाने के लिए DOPT ने मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिया है कि वे नाम परिवर्तन के लंबित मामलों को जल्द से जल्द पूरा करें।

अनुपालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी

DOPT ने मंत्रालयों और विभागों को नए दिशा-निर्देशों को सही तरीके से लागू करने का आदेश दिया है। यह सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि पेंशन से जुड़े मामलों में यह नियम सही समय पर और सही तरीके से लागू हों, जिससे पेंशनभोगियों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

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