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भारत का एकमात्र राज्य जिसकी हैं 3 राजधानियाँ! जानिए क्यों और कैसे हुआ ये अनोखा फैसला

क्या आपने सुना है किसी राज्य की तीन राजधानियाँ होने के बारे में? आंध्र प्रदेश में प्रशासनिक, विधायी और न्यायिक केंद्रों के रूप में तीन राजधानियाँ स्थापित की गई हैं। जानिए कैसे यह फैसला राज्य के विकास और क्षेत्रीय संतुलन को बढ़ावा देता है।

By Akshay Verma
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भारत का एकमात्र राज्य जिसकी हैं 3 राजधानियाँ! जानिए क्यों और कैसे हुआ ये अनोखा फैसला
भारत का एकमात्र राज्य जिसकी हैं 3 राजधानियाँ

भारत में अधिकतर राज्यों की केवल एक ही राजधानी होती है, लेकिन आंध्र प्रदेश में 3 राजधानियाँ हैं। यह अनोखी राजधानी व्यवस्था राज्य के विकास को संतुलित करने और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है। आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियाँ – विशाखापत्तनम, अमरावती, और कुरनूल हैं।

आंध्र प्रदेश की 3 राजधानियाँ और उनका महत्व

आंध्र प्रदेश के तीन राजधानी शहर और उनके महत्व को समझना महत्वपूर्ण है:

  1. विशाखापत्तनम – प्रशासनिक राजधानी
    आंध्र प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी के रूप में विशाखापत्तनम को चुना गया है। यह एक प्रमुख तटीय शहर है, जो औद्योगिक केंद्र और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर राज्य सरकार के प्रमुख कार्यालय स्थित हैं और प्रशासनिक कार्य यहीं से संचालित किए जाते हैं।
  2. अमरावती – विधायी राजधानी
    अमरावती को आंध्र प्रदेश की विधायी राजधानी के रूप में चुना गया है। राज्य की विधानसभा यहीं पर स्थित है। यह शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है और यहाँ विधायकों के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं, ताकि वे नीतियों और योजनाओं पर विचार कर सकें और उन्हें लागू कर सकें।
  3. कुरनूल – न्यायिक राजधानी
    आंध्र प्रदेश की न्यायिक राजधानी के रूप में कुरनूल का चयन किया गया है। यहाँ राज्य का उच्च न्यायालय स्थित है, जहाँ कानूनी मामलों का निपटारा किया जाता है। कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाने का उद्देश्य न्यायिक सेवाओं को राज्य के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाना है।

आंध्र प्रदेश में तीन राजधानियों की आवश्यकता क्यों पड़ी?

आंध्र प्रदेश में तीन राजधानियों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य संतुलित विकास और सत्ता का विकेंद्रीकरण करना है। जब 2014 में तेलंगाना का गठन हुआ, तो आंध्र प्रदेश को अपनी नई राजधानी की आवश्यकता पड़ी। प्रारंभ में अमरावती को राजधानी बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने तीन राजधानियाँ रखने का निर्णय लिया।

इस फैसले के पीछे का तर्क यह था कि विभिन्न क्षेत्रों में सरकार के महत्वपूर्ण कार्यों का विकेंद्रीकरण होने से वहाँ का विकास तेज़ी से हो सकेगा। तीन राजधानियों से राज्य के तीनों प्रमुख क्षेत्रों – उत्तरी, मध्य, और दक्षिणी भागों में विकास के अवसर मिलेंगे और संतुलित विकास सुनिश्चित होगा।

आंध्र प्रदेश का गठन और विशेषताएँ

आंध्र प्रदेश का गठन 1 नवंबर, 1956 को हुआ और यह भारत का पहला राज्य था जो भाषायी आधार पर गठित हुआ। इसके विभाजन के बाद से यह राज्य अधिकतर तेलुगु बोलने वाले लोगों का निवास स्थान बना। आंध्र प्रदेश की अन्य प्रमुख विशेषताएँ:

  • क्षेत्रफल में स्थान: भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा राज्य।
  • तटरेखा: भारत में सबसे लंबी तटरेखा आंध्र प्रदेश की है।
  • सीमाएँ: आंध्र प्रदेश की सीमाएँ छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र से मिलती हैं।
  • जनसंख्या: यह जनसंख्या के मामले में भारत में दसवें स्थान पर है।
  • साक्षरता दर: 2011 की जनगणना के अनुसार, साक्षरता दर 67.35% थी।

तीन राजधानियों के लिए नियम और व्यवस्था

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 2, 3 और 4 के अनुसार, केवल संसद को नए राज्य बनाने और मौजूदा राज्यों में बदलाव करने का अधिकार है। इसका अर्थ है कि राज्यों की राजधानियों के संबंध में भी अंतिम निर्णय संसद के हाथ में है। राज्य विधानमंडल केवल प्रस्ताव पारित कर सकता है, लेकिन उसे कानून का दर्जा संसद द्वारा ही प्राप्त होता है।

राज्य की राजधानी बदलने का अधिकार

किसी राज्य के विधानमंडल के पास यह अधिकार है कि वह अपनी राजधानी बदलने या नई राजधानी प्रस्तावित करने का प्रस्ताव पारित कर सकता है, लेकिन इसे कानूनी मान्यता संसद से प्राप्त करनी होती है। उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश ने अमरावती को राजधानी घोषित किया था, लेकिन बाद में विशाखापत्तनम और कुरनूल को भी राजधानियों के रूप में प्रस्तावित किया गया। इस प्रस्ताव को संसद द्वारा औपचारिक रूप से मान्यता नहीं मिली, जिससे राज्य में बहस का विषय बना हुआ है।

अन्य राज्यों की दो राजधानियाँ

भारत के कुछ राज्यों की दो राजधानियाँ भी हैं। यह व्यवस्था आमतौर पर मौसम की स्थिति या भौगोलिक कारणों से की गई है।

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  • महाराष्ट्र: मुंबई (मुख्य) और नागपुर (शीतकालीन)।
  • जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर (ग्रीष्मकालीन) और जम्मू (शीतकालीन)।
  • हिमाचल प्रदेश: शिमला (ग्रीष्मकालीन) और धर्मशाला।
  • उत्तराखंड: देहरादून और गैरसैण।
  • कर्नाटक: बेंगलुरु और बेलगाम।
  • लद्दाख: लेह और कारगिल।

आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियाँ FAQs

1. आंध्र प्रदेश में तीन राजधानियाँ क्यों हैं?
राज्य सरकार ने क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने और सत्ता का विकेंद्रीकरण करने के लिए तीन राजधानियाँ रखने का प्रस्ताव रखा था।

2. क्या अन्य राज्यों में भी 3 राजधानियाँ हैं?
नहीं, आंध्र प्रदेश ऐसा पहला राज्य है जिसकी तीन राजधानियाँ हैं।

3. तीन राजधानियों से राज्य को क्या लाभ हैं?
यह व्यवस्था राज्य के विभिन्न हिस्सों में विकास को गति देती है और प्रशासनिक कार्यों को संतुलित करती है।

4. क्या आंध्र प्रदेश की राजधानियों को बदलने का अधिकार राज्य सरकार के पास है?
नहीं, राज्य की राजधानी में बदलाव का अंतिम अधिकार संसद के पास होता है।

5. क्या तीनों राजधानियाँ स्थायी हैं?
फिलहाल यह व्यवस्था लागू है, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव हो सकता है।

आंध्र प्रदेश की 3 राजधानियाँ – विशाखापत्तनम, अमरावती और कुरनूल – राज्य के संतुलित विकास के लिए चुनी गई हैं। जानिए कैसे यह अनोखी राजधानी व्यवस्था राज्य को आर्थिक और प्रशासनिक लाभ प्रदान करती है।

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