इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) भरना एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरा काम है। थोड़ी-सी भी गलती यहाँ आपको बड़ा जुर्माना या आयकर विभाग से नोटिस के रूप में महंगा सबक दे सकती है। आयकर नोटिस अक्सर उन त्रुटियों के कारण आता है, जिन्हें आसानी से टाला जा सकता है। आज के लेख में हम समझेंगे कि आयकर विभाग से नोटिस क्यों आता है और इसे कैसे हैंडल करें। यह जानकारी आपको आयकर से संबंधित बेहतर समझ देगी और नोटिस से बचाव में सहायक होगी।
इनकम टैक्स की इन 6 धाराओं के तहत आता है नोटिस
1. सेक्शन 139(9) के तहत नोटिस: दोषपूर्ण रिटर्न का मामला
सेक्शन 139(9) के तहत नोटिस तब आता है जब आपका ITR दोषपूर्ण माना जाता है। इसका मतलब है कि आपने अपनी आय से संबंधित कोई जानकारी अधूरी दी है या आपके फॉर्म की जानकारी आयकर विभाग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती। इस स्थिति में आपको विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब 15 दिनों के भीतर देना आवश्यक होता है। यदि समय पर जवाब नहीं दिया जाता, तो आपकी रिटर्न को रद्द किया जा सकता है।
समाधान: विभाग द्वारा किए गए सवालों का विस्तार से और स्पष्ट जवाब देना चाहिए, ताकि आपके मामले का निराकरण हो सके।
2. धारा 143(1) का नोटिस: अतिरिक्त कर भुगतान या धनवापसी की सूचना
धारा 143(1) के तहत जारी नोटिस एक सूचना पत्र होता है, जिसमें आपको या तो धनवापसी की जानकारी दी जाती है या कर की गलत गणना के कारण अतिरिक्त कर का भुगतान करने की सूचना दी जाती है। यदि आपने अधिक कर का भुगतान किया है, तो धनवापसी की जानकारी मिलेगी, और अगर कम कर भरा है, तो टैक्स लायबिलिटी को पूरा करने के निर्देश दिए जाएंगे। समाधान: इस नोटिस के अनुसार अपनी कर गणना की जाँच करें और तदनुसार कर का भुगतान या धनवापसी की प्रक्रिया पूरी करें।
3. धारा 143(1)(a) के तहत नोटिस: TDS और ITR में असंगतता
यह नोटिस तब भेजा जाता है जब आपके TDS सर्टिफिकेट (जैसे फॉर्म 16 और फॉर्म 16A) की जानकारी और ITR में दिए गए आंकड़ों में असंगतता पाई जाती है। इसका मतलब है कि आपने अपने ITR में कुछ अलग भरा है और आपके नियोक्ता द्वारा प्रस्तुत TDS सर्टिफिकेट में अलग जानकारी है। समाधान: TDS और ITR में संगति स्थापित करने के लिए आवश्यक जानकारी को अद्यतन करें और विभाग को सूचना दें।
4. सेक्शन 142(1) का नोटिस: अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता
धारा 142(1) के तहत नोटिस तब भेजा जाता है जब आयकर अधिकारी को आपकी रिटर्न के कुछ पहलुओं पर अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता होती है। यह नोटिस तब भी भेजा जा सकता है जब आपने किसी वर्ष का ITR दाखिल नहीं किया हो, लेकिन आपके पिछले रिकॉर्ड के आधार पर अधिकारी रिटर्न दाखिल करने की मांग कर सकते हैं। समाधान: समय पर और स्पष्टता के साथ मांगी गई जानकारी प्रस्तुत करें। इस नोटिस का जवाब न देने पर 10,000 रुपये का जुर्माना या कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
5. धारा 156 के तहत नोटिस: मांग पत्र
धारा 156 के तहत नोटिस एक डिमांड नोटिस होता है, जिसमें कर विभाग आपके बकाया कर, जुर्माना, या पेनल्टी की जानकारी देता है। इस नोटिस को मिलने के बाद आपको निर्धारित राशि 30 दिनों के भीतर जमा करनी होती है। समाधान: डिमांड नोटिस का सम्मान करते हुए 30 दिनों के भीतर निर्धारित राशि का भुगतान करें। इससे आप अतिरिक्त जुर्माने से बच सकते हैं।
6. धारा 143(2) का नोटिस: स्क्रूटनी ऑर्डर
धारा 143(2) के तहत नोटिस को स्क्रूटनी ऑर्डर भी कहा जाता है, जो आयकर विभाग द्वारा जांच के लिए जारी किया जाता है। यह नोटिस तब जारी किया जाता है जब आपकी आय में अधिक लाभ या कम आय दिखाने की आशंका होती है। समाधान: इस नोटिस का जवाब देते समय अपने आय के सभी प्रासंगिक दस्तावेज और प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें, ताकि जांच प्रक्रिया में सहयोग कर सकें।
FAQs
- ITR भरते समय कौन सी सामान्य गलतियाँ होती हैं?
- गलत जानकारी देना, आय की असंगति, और TDS सर्टिफिकेट की जानकारी से मेल न खाना सामान्य गलतियाँ हैं।
- क्या आयकर नोटिस मिलने पर जवाब देना जरूरी है?
- हाँ, नोटिस मिलने पर तय समय में जवाब देना बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा अतिरिक्त जुर्माना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- धारा 143(2) का नोटिस क्यों आता है?
- यह स्क्रूटनी ऑर्डर होता है, जो किसी व्यक्ति की आय और ITR में गड़बड़ी मिलने पर आता है।
- डिमांड नोटिस का जवाब देने का समय कितना होता है?
- डिमांड नोटिस का जवाब 30 दिनों के भीतर देना आवश्यक है।