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घर किराये पर देने से पहले जानें ये जरूरी नियम! कानूनी झंझटों से बचने का आसान तरीका

क्या आप घर किराये पर देने की सोच रहे हैं? जानें भारत में लागू जरूरी किरायेदारी कानून और नियम, जो आपको किरायेदारी विवादों से बचाएंगे। पढ़ें कैसे सही किरायानामा, सुरक्षा जमा की सीमा और किराये में वृद्धि के नियम आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं!

By Akshay Verma
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घर किराये पर देने से पहले जानें ये जरूरी नियम! कानूनी झंझटों से बचने का आसान तरीका
घर किराये पर देने से पहले जानें ये जरूरी नियम

भारत में घर किराये पर देने के लिए मकान मालिक और किरायेदार के लिए कुछ जरूरी नियम और कानून बनाए गए हैं। इनका पालन करके आप कानूनी समस्याओं से बच सकते हैं और दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। घर को किराये पर देते समय एक व्यवस्थित प्रक्रिया और कानूनी मार्गदर्शन जरूरी होता है। आइए जानते हैं भारत में घर किराये पर देने के नियम, कानून और प्रक्रिया के बारे में

किरायानामा (Rent Agreement): क्यों है अनिवार्य?

किरायानामा एक कानूनी दस्तावेज है, जो मकान मालिक और किरायेदार के बीच संबंधों और शर्तों को स्पष्ट करता है। किरायानामा में किराये की राशि, भुगतान की शर्तें, सुरक्षा जमा, मरम्मत की जिम्मेदारी और निष्कासन की प्रक्रिया का विवरण होता है। किरायानामा न केवल विवादों को कम करता है, बल्कि दोनों पक्षों को उनके अधिकार और जिम्मेदारियों की भी जानकारी देता है।

उदाहरण: यदि किरायेदार ने समय पर किराया नहीं चुकाया या मकान को क्षति पहुंचाई, तो किरायानामा मकान मालिक को कानूनी कार्रवाई का अधिकार देता है।

मॉडल किरायेदारी अधिनियम 2021 (Model Tenancy Act 2021)

केंद्र सरकार ने मॉडल किरायेदारी अधिनियम 2021 पेश किया है, जिसका उद्देश्य किरायेदार और मकान मालिक दोनों के अधिकारों की सुरक्षा करना है। इस कानून के अनुसार, सभी नए किरायानामों को रेंट अथॉरिटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इस अधिनियम के अंतर्गत, सुरक्षा जमा की सीमा, किराये की वृद्धि, और मरम्मत की जिम्मेदारी तय की गई है।

Security Deposit कितनी होनी चाहिए?

मॉडल किरायेदारी अधिनियम के अनुसार, आवासीय संपत्तियों के लिए सुरक्षा जमा अधिकतम दो महीने के किराये तक सीमित है। गैर-आवासीय संपत्तियों के लिए यह सीमा छह महीने की है।

उदाहरण: यदि किसी संपत्ति का मासिक किराया ₹10,000 है, तो आवासीय संपत्तियों के लिए सुरक्षा जमा अधिकतम ₹20,000 और गैर-आवासीय के लिए ₹60,000 तक हो सकती है।

Rent Increase कैसे करें ?

किराया वृद्धि के लिए मकान मालिक को कम से कम तीन महीने पहले लिखित सूचना देनी होती है। यह जानकारी किरायानामा में स्पष्ट रूप से शामिल होनी चाहिए। यदि किरायेदार को समय पर सूचना नहीं दी जाती है, तो वह इस वृद्धि को चुनौती दे सकता है।

उदाहरण: यदि मकान मालिक हर साल 5% किराया वृद्धि करना चाहता है, तो किरायानामा में इस शर्त का उल्लेख होना चाहिए। इससे दोनों पक्षों को भविष्य में किसी भी विवाद से बचने में मदद मिलती है।

संपत्ति का निरीक्षण (Property Inspection): कैसे करें सही तरीके से?

मकान मालिक को संपत्ति का निरीक्षण करने के लिए किरायेदार को पूर्व सूचना देकर ही आना चाहिए। बिना पूर्व सूचना के मकान मालिक का आना किरायेदार की निजता का उल्लंघन माना जा सकता है।

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Eviction कि क्या है कानूनी प्रक्रिया?

किरायेदार को निष्कासित करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। किरायेदार द्वारा किराया न चुकाना, संपत्ति का दुरुपयोग करना, या किरायानामा की शर्तों का उल्लंघन करना, निष्कासन के आधार हो सकते हैं।

उदाहरण: यदि किरायेदार किरायानामा में दी गई शर्तों का पालन नहीं करता है, तो मकान मालिक उसे कानूनी रूप से निष्कासित कर सकता है।

1. क्या किरायानामा बनाना आवश्यक है?
हां, किरायानामा एक कानूनी दस्तावेज है जो दोनों पक्षों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है।

2. क्या सभी किरायानामों का पंजीकरण आवश्यक है?
मॉडल किरायेदारी अधिनियम के तहत, सभी नए किरायानामों का रेंट अथॉरिटी में पंजीकरण आवश्यक है।

3. क्या किरायेदार की सहमति के बिना किराये में वृद्धि की जा सकती है?
नहीं, किराया वृद्धि की शर्तें किरायानामा में स्पष्ट होनी चाहिए, और किरायेदार को तीन महीने पहले सूचना देनी होगी।

4. मकान मालिक कितनी बार संपत्ति का निरीक्षण कर सकता है?
संपत्ति का निरीक्षण पूर्व सूचना देकर ही किया जा सकता है और यह किरायेदार की सहमति से होना चाहिए

किरायानामा तैयार करते समय कानूनी सलाह लेना उचित है, ताकि सभी शर्तें स्पष्ट और कानूनी रूप से मान्य हों। एक वकील की सलाह से मकान मालिक और किरायेदार दोनों को अपने अधिकारों की पूरी जानकारी मिलती है।

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