भारत में शादी को लेकर हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) और अन्य विवाह अधिनियमों के तहत कई प्रावधान बनाए गए हैं। तलाक के मामलों में अक्सर यह माना जाता है कि पति को ही पत्नी को गुजारा भत्ता (Alimony) देना होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ स्थितियों में पत्नी को भी पति को एलिमनी (Alimony) देने का प्रावधान है?
मैरिज लॉ और तलाक के प्रावधान
भारत में हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) के तहत शादी और तलाक के लिए सख्त प्रावधान हैं। बिना तलाक लिए दूसरी शादी करना अपराध है और इसके लिए 7 साल तक की सजा हो सकती है। लेकिन तलाक के बाद जब पति के पास कमाई का कोई साधन न हो, तो वह भत्ता (Maintenance) के लिए कोर्ट में आवेदन कर सकता है।
एलिमनी के अधिकार और सेक्शन 25
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 के तहत पति और पत्नी दोनों को स्थायी भत्ता (Permanent Alimony) मांगने का अधिकार है। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं।
हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया, जहां मुंबई में 25 साल की शादी के बाद तलाक हुआ, और पत्नी को अपने पति को करीब 10 करोड़ रुपये का भत्ता देना पड़ा। इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम है और पति की आय नहीं है या कम है, तो पति भी एलिमनी का दावा कर सकता है।
हिंदू मैरिज एक्ट की महत्वपूर्ण धाराएं
- धारा 9 (Restitution of Conjugal Rights): यह प्रावधान तब लागू होता है जब पति-पत्नी बिना किसी उचित कारण के अलग रहते हैं। कोर्ट के आदेश के तहत दोनों को साथ रहने के लिए कहा जा सकता है।
- धारा 25 (Permanent Alimony): यह प्रावधान पति और पत्नी दोनों को भरण पोषण मांगने का अधिकार देता है। पति तब एलिमनी मांग सकता है जब उसकी आय पत्नी से कम हो या वह बेरोजगार हो।
- स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act): इसके तहत केवल पत्नी को भत्ता मांगने का अधिकार दिया गया है।
कब पति कर सकता है एलिमनी की मांग?
तलाक के मामलों में पति अपनी पत्नी से एलिमनी तभी मांग सकता है जब उसकी आय का कोई स्रोत न हो। और उसकी आय पत्नी से कम हो। या वह आर्थिक रूप से असहाय हो और भरण पोषण की आवश्यकता हो।
हालांकि ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम है। आमतौर पर पत्नी ही भत्ता मांगती है, लेकिन आर्थिक रूप से सक्षम पत्नी को अपने पति को भत्ता देना पड़ सकता है।
1. क्या तलाक के बाद पति एलिमनी मांग सकता है?
हां, हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पति एलिमनी का दावा कर सकता है, बशर्ते वह आर्थिक रूप से कमजोर हो और उसकी आय पत्नी से कम हो।
2. क्या पत्नी को हमेशा भत्ता दिया जाता है?
नहीं, अगर पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम है और पति असहाय है, तो पति को भत्ता मिल सकता है।
3. कोर्ट एलिमनी का निर्णय कैसे लेता है?
कोर्ट दोनों पक्षों की आय और संपत्ति का आकलन करके एलिमनी तय करता है।
4. क्या सभी धर्मों में पति एलिमनी मांग सकता है?
हिंदू मैरिज एक्ट में पति को एलिमनी मांगने का अधिकार है, लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट और अन्य विवाह अधिनियमों में यह प्रावधान अलग हो सकता है।
तलाक और भरण पोषण के प्रावधान केवल एकतरफा नहीं हैं। हिंदू मैरिज एक्ट में पति को भी एलिमनी का अधिकार दिया गया है, लेकिन इसके लिए आर्थिक परिस्थितियों का मूल्यांकन जरूरी है। यह प्रावधान न केवल विवाह को संतुलन प्रदान करता है, बल्कि उन पतियों के लिए राहत का साधन है जो आर्थिक रूप से असमर्थ हैं।