क्या सास-ससुर अपनी विधवा बहू से संपत्ति वापस मांग सकते हैं? यह सवाल अक्सर विवादों और भावनात्मक मुद्दों का केंद्र बन जाता है। हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने इस संवेदनशील वि षय पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसने कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया है। हाई कोर्ट ने कहा कि सास-ससुर बेटे की मृत्यु के बाद विधवा बहू से संपत्ति (Property of Mother-in-law and Father-in-law) वापस नहीं ले सकते।
क्या सास-ससुर विधवा बहू से संपत्ति वापस मांग सकते हैं?
इस फैसले का आधार एक केस था जिसमें एक सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल (Senior Citizen Tribunal) ने बहू को दी गई संपत्ति की गिफ्ट डीड (Gift Deed) को खारिज करते हुए संपत्ति दंपत्ति को लौटाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने इस आदेश को न केवल खारिज किया, बल्कि यह भी कहा कि ट्रिब्यूनल को ऐसा आदेश देने का अधिकार ही नहीं था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संपत्ति की गिफ्ट डीड रद्द करना ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
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यह विवाद मुंबई के एक बुजुर्ग दंपत्ति और उनकी विधवा बहू के बीच का था। 1996 में दंपत्ति ने अपने बड़े बेटे को अपनी फर्म में पार्टनर बनाया। बेटे ने अपनी पत्नी के साथ नई कंपनियां बनाईं और इनसे अर्जित आय से 18 संपत्तियां खरीदीं। इनमें से कुछ संपत्तियां दंपत्ति ने अपने बेटे और बहू को गिफ्ट में दी थीं।
2015 में बेटे की मृत्यु के बाद ये संपत्तियां बहू के नाम हो गईं। जब बहू ने इन संपत्तियों को साझा करने से मना किया, तो दंपत्ति ने सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज कराई। 2018 में ट्रिब्यूनल ने गिफ्ट डीड को खारिज कर संपत्ति बहू से वापस लेने का आदेश दिया। साथ ही बहू को 10,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता (Maintenance) देने का भी निर्देश दिया गया।
हाई कोर्ट ने किया फैसला
बहू ने ट्रिब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सास-ससुर बेटे की मृत्यु के बाद बहू पर संपत्ति लौटाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं रख सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रिब्यूनल ने जिन संपत्तियों को सूचीबद्ध किया, उनके स्रोत स्पष्ट नहीं थे।
कोर्ट ने यह मानने से इनकार कर दिया कि इन संपत्तियों को पूरी तरह दंपत्ति ने अपने निजी संसाधनों से खरीदा था। इसके अलावा अदालत ने सुझाव दिया कि दंपत्ति को फर्म से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए साझेदारी समाप्त करने के उपायों पर विचार करना चाहिए।
विवादित संपत्तियां और गुजारा भत्ता
दंपत्ति के वकील ने अदालत को बताया कि सास के पास रहने के लिए कोई घर नहीं है और वह अपने दूसरे बेटे के साथ रहने को मजबूर है। इस दौरान बहू ने अपनी सास को जीवन भर गुजारा भत्ता देने की सहमति दी।
कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का स्वामित्व और गिफ्ट डीड जैसे मुद्दे केवल कानूनी दस्तावेजों और प्रामाणिक साक्ष्यों पर आधारित होने चाहिए। इस मामले में, गिफ्ट डीड की वैधता को ट्रिब्यूनल द्वारा रद्द करना कानून के खिलाफ था।
1. क्या सास-ससुर बेटे की मृत्यु के बाद संपत्ति वापस मांग सकते हैं?
नहीं, गिफ्ट डीड के तहत दी गई संपत्ति बहू के पास बनी रहेगी।
2. क्या ट्रिब्यूनल गिफ्ट डीड को रद्द कर सकता है?
नहीं, ट्रिब्यूनल को गिफ्ट डीड रद्द करने का अधिकार नहीं है।
3. क्या बहू गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य है?
संपत्ति के स्वामित्व और सास-ससुर की स्थिति के आधार पर, बहू गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य हो सकती है।
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला पारिवारिक विवादों में कानून के अधिकार क्षेत्र और गिफ्ट डीड की वैधता को स्पष्ट करता है। यह फैसला न केवल संपत्ति अधिकारों को सुनिश्चित करता है, बल्कि पारिवारिक संबंधों में कानून के संतुलन को भी दर्शाता है।