हाल ही में प्याज की कीमतों में स्थिरता के बाद एक बार फिर से बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। भारत सरकार ने प्याज निर्यात (Export) पर बड़ा फैसला लेते हुए बैन हटा दिया है। पहले घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखने के लिए इस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस निर्णय से घरेलू आपूर्ति पर असर पड़ने और कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
प्याज की कीमतों में आ सकता है उछाल
प्याज के निर्यात बैन हटाने के बाद विदेशी बाजारों में मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे घरेलू आपूर्ति पर दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, प्याज निर्यात शुल्क (Export Duty) में भी सरकार ने बदलाव किया है। पहले 40% शुल्क लगाया गया था, जिसे अब घटाकर 20% कर दिया गया है। इससे निर्यातक अधिक मात्रा में इसे विदेश भेजने में रुचि दिखाएंगे, जो घरेलू बाजार में कमी का कारण बन सकता है।
एक्सपोर्ट की नई व्यवस्था
हालांकि, सरकार ने घरेलू बाजार में राहत देने के लिए भी कदम उठाए हैं। हाल ही में दिल्ली के किशनगंज रेलवे स्टेशन पर 840 मेट्रिक टन प्याज की खेप पहुंची है। इसे आजादपुर मंडी में उतारा जाएगा, जिससे स्थानीय बाजारों में इस की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे खुदरा कीमतें 35 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ सकती हैं, जो आम जनता के लिए राहत की बात है।
अन्य कृषि उत्पादों पर प्रभाव
प्याज के अलावा, सरकार ने अन्य कृषि उत्पादों के लिए भी फैसले लिए हैं। उदाहरण के लिए पाम ऑयल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को 27.5% तक बढ़ाया गया है, ताकि सोयाबीन उत्पादकों को सही कीमत मिल सके। इसके अलावा, सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद के लिए महाराष्ट्र सरकार को अनुमति दी गई है। सोयाबीन का वर्तमान MSP 4,892 रुपये प्रति क्विंटल है, जो किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम दिलाने का प्रयास है।
चुनौतियां और संभावनाएं
प्याज की कीमतें आने वाले महीनों में कई कारकों पर निर्भर करेंगी। यदि निर्यात की मांग बढ़ती है और घरेलू आपूर्ति स्थिर नहीं रहती, तो कीमतें फिर से ऊंचाई पर जा सकती हैं। हालांकि, सरकार की योजनाओं और आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों से बाजार में स्थिरता आने की उम्मीद भी जताई जा रही है।
Q. क्या प्याज की कीमतें फिर से बढ़ेंगी?
जी हां, निर्यात बैन हटने और शुल्क में कमी के कारण कीमतें बढ़ने की संभावना है।
Q. क्या सरकार ने प्याज की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कोई कदम उठाए हैं?
हां, सरकार ने स्थानीय मंडियों में प्याज की खेप भेजने की योजना बनाई है।
Q. निर्यात शुल्क में कमी से क्या असर पड़ेगा?
निर्यात शुल्क 40% से घटाकर 20% कर दिया गया है, जिससे विदेशों में मांग बढ़ सकती है और घरेलू आपूर्ति पर दबाव पड़ सकता है।
Q. सोयाबीन और पाम ऑयल पर क्या फैसला लिया गया है?
सोयाबीन की MSP पर खरीद की अनुमति दी गई है, और पाम ऑयल पर ड्यूटी बढ़ाकर किसानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
सरकार के हालिया फैसले प्याज के निर्यात और घरेलू आपूर्ति पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। जहां निर्यात शुल्क में कमी और बैन हटाने से किसान और निर्यातकों को फायदा हो सकता है, वहीं आम जनता को संभावित मूल्य वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, आपूर्ति बढ़ाने की कोशिशों से उम्मीद है कि बाजार स्थिर होगा।